सफ़ेद दाग के उपचार (Vitiligo Homeopathic Medicine/ Treatment in Hindi)
यहाँ चिकित्सा के विभिन्न प्रणालियों के तहत सफ़ेद दाग के लिए उपलब्ध उपचार के विभिन्न तौर -तरीकों का वर्णन कर रहे हैं -
- होम्योपैथिक उपचार
- पारंपरिक उपचार
- आयुर्वेदिक (हर्बल ) उपचार
- सर्जिकल (शल्य )उपचार
सफ़ेद दाग के पारंपरिक उपचार -
सफ़ेद दाग के उपचार में मुख्य रूप से मेलेनिन वर्णक के सफ़ेद धब्बों वाले स्थान पर गठन को लक्षित किया जाता है | इसके उपचार में विभिन्न रोगियों का शरीर अलग - अलग तरह से व्यव्हार करता है| साथ ही विभिन्न रोगियों के लिए उपचार के तरीके भी एक जैसे न होकर अलग-अलग होते हैं | सफ़ेद दाग रोग के स्पष्ट कारण के आभाव में इसके उपचार का कोई आदर्श तरीका नहीं है | पारंपरिक उपचार के तरीके को निम्न भागों में बांटा गया है -
- सामान्य पक्ष
- चिकित्सा उपचार
सामान्य पक्ष -
सफ़ेद दाग एक प्रत्याशित स्थिति को दर्शाता है क्योंकि इसके कारण एवं उपचार का सटीक ज्ञान हमारे पास नहीं है | इसलिए रोगियों के लिए सबसे आवश्यक यह है की अपने अच्छे स्यास्थ्य को बनाये रखने की ओर ध्यान दें | रोगियों को संतुलित आहार के रूप में अपने आहार में प्रोटीन की बढ़ी हुई मात्रा तथा विटामिन - बी काम्प्लेक्स तथा विटामिन - ई एवं खनिज लवण जैसे ताम्बा (कॉपर ) , जिंक , एवं लोहा (आयरन ) लेना चाहिए |
यह बहुत जरूरी है की रोगी को शारीरिक (भौतिक ), रासायनिक तथा भावनात्मक आघात से बचना चाहिए | साथ ही साबुन , डिटर्जेंट युक्त फिनोलिक यौगिक , तथा रबड़ सामग्रियों के संपर्क एवं ऐसे रसायन जो मेलेनिन वर्णक के बनने को प्रभावित करते हों, से बचना चाहिए |
चिकित्सा उपचार -
सफ़ेद दाग रोग का उपचार इसके प्रकार,इसकी गंभीरता तथा साथ ही रोगी की उपचार तरीकों में प्राथमिकता पर निर्भर करता है | सफ़ेद दाग के उपचार में निम्नलिखित तरीके शामिल हैं -
Psoralen (सोरालेन ) यौगिक तथा UVA थेरेपी -
Psoralen यौगिक इस रोग के उपचार की सबसे महत्वपूर्ण दवाओं में से एक है | इसमें एक ऐसा रसायन (furucoumarin compound ) होता है जो की सूर्य की पराबैगनी किरणों से क्रिया कर त्वचा के रंग को गहरा बनाता है | वैसे उपचार का यह तरीका समय ज्यादा लेता है तथा कभी कभी इसके परिणाम घातक भी निकल जाते हैं . |
पराबैंगनी विकिरण उपचार की टोपिकल तकनीक ( Topical PUVA Therapy ) -
इस उपचार की तकनीक को उन रोगि के लिए उपयोग किया जाता है जिनमें सफ़ेद दागका ज्यादा प्रभाव या कहें की शरीर पर धब्बों की मात्रा कम होती है या फिर २ वर्ष या २ वर्ष की उम्र से कुछ बड़े बच्चे हों |
पराबैंगनी विकिरण उपचार की ओरल तकनीक -
यह तकनीक उन सफ़ेद दाग रोगियों ल्युकोडर्मा ) के लिए उपयोग की जाती है जिनके शरीर के २०% से ज्यादा सफ़ेद दागके धब्बे होते हैं या फिर ऐसे रोगियों के लिए जो पराबैंगनी विकिरण उपचार की टॉपिकल तकनीक से उपचारित नहीं होते हैं | इस उपचार के तरीके को १० वर्ष उम्र तक बच्चों के लिए नहीं उपयोग किया जाता क्योंकि इस विधि से उनमें मोतियाबिंद होने के खतरे बढ़ जाते हैं |
यूवीबी फोटोथेरेपी -
इसमें पराबैगनी प्रकाश की छोटी चयनात्मक संकीर्ण बैंड का उपयोग किया जाता है | यह PUVA थेरेपी से ज्यादा असरकारक होती है | यह विशिष्ट एवं छोटे घावों को निशाना बनाता है | चयनात्मक संकीर्ण बैंड यूवी- बी ( 311 एनएम) त्वचा के विशिष्ट क्षेत्रों के लिए विकिरण को निर्देशित करने के लिए एक फाइबर ऑप्टिक प्रणाली के साथ प्रयोग किया जाता है ।
एक्साइमर लेज़र तकनीक -
३०८ nm ज़ेनॉन क्लोराइड एक्साइमर लेज़र तकनीक एक प्रभावी सुरक्षित तथा अच्छी उपचार की विधि है जो की ३०% प्रभावी हिस्सों को पूर्णतः उपचारित करने की शक्ति रखता है | इसमें इम्मयूनोमोड्यूलेशन के तहत टी - कोशिकाओं को उपचारित किया जाता है | वांछित परिणाम के लिए इस उपचार तकनीक का कम से कम १२ सप्ताह तक उपयोग किया जाता है |
टॉपिकल थेरेपी -
सफ़ेद दाग के इस उपचार के तरीकों में कुछ महत्त्वपूर्ण रसायन जैसे मेथोक्सलेन (methoxsalen ), ट्राइऑक्सेलींन (trioxsalen ) कॉर्टिकोस्टिरॉयड (corticosteroid ) तथा कैल्सिनेयूरियम (calcineurium ) जैसे अवरोधकों का उपयोग किया जाता है | वैसे तो इस तरीके से किया गया उपचार स्थायी होता है परंतु इससे कुछ नुकसान भी शरीर में होते हैं |
सर्जिकल तौर तरीकों में शामिल:
त्वचा प्रत्यारोपण -
त्वचा प्रत्यारोपण विधि में शरीर के एक भाग से त्वचा निकालकर सफ़ेद दाग से संक्रमित त्वचा वाले स्थान पर त्वचा का प्रत्यारोपण कर दिया जाता है | उपचार की यह तकनीक भी बहुत अधिक समय लेने वाली तथा महँगी होती है |
त्वचा के प्रत्यारोपण के लिए फफोले का प्रयोग -
उपचार की इस तकनीक में रोगी के वर्णक युक्त स्थान पर अत्यधिक ताप, तथा प्रशीतन का प्रयोग कर त्वचा पर फफोले बनाए जाते हैं | इसके बाद फफोले के ऊपरी परत को काटकर निकाल लिया जाता है ,और इस परत को वर्णकहीन भाग में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है | इस प्रकार किये गए प्रत्यारोपण में त्वचा प्रत्यारोपित स्थान पर चकत्ते बनने या फिर त्वचा के उस भाग पर पूर्ण रूप से वर्णक न बनने की भी सम्भावना होती है , परंतु इस विधि से किये गए प्रत्यारोपण में अन्य तरीकों से कम खतरा होता है |
त्वचा प्रत्यारोपण की छोटी पंचिंग तकनीक -
उपचार की इस विधि में अन्य स्थान से निकली गई त्वचा के छोटे से टुकड़े को सफ़ेद दागसंक्रमित स्थान पर दबाव लगाकर पट्टी बांध दिया जाता है | इस प्रत्यारोपित स्थान पर ४-६ सप्ताह के बाद फिर से वर्णक का निर्माण शुरू हो जाता है | इस स्थान पर कुछ छोटे - छोटे दाने अवश्य दिखाई देते हैं परंतु ये बहुत ही कम होते हैं | जिसके कारण इसके परिणाम बहुत अच्छे होते हैं |
सूक्ष्म -रंजकता या गोदना -
यह प्रक्रिया एक विशेष शल्य चिकित्सा उपकरण के साथ त्वचा में वर्णक प्रत्यारोपित करने की है। यह विशेष रूप से गहरे रंग के त्वचा वाले लोगों में , होंठ क्षेत्र के लिए सबसे अच्छा काम करती है।
सफ़ेद दाग के लिए आयुर्वेदिक दवाइयां - :आरोग्य वर्धिनी, त्रिवंगा भस्मा, महामंजिष्ठादि काढ़े और खदिरारिष्ट सबसे अधिक सफ़ेद दागके लिए पारंपरिक आयुर्वेदिक दवाओं के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं |
सफ़ेद दाग के लिए उपयोगी हर्बल दवाएं - : मंजिष्ठा ( rubia cordifolia ), सारिवा ( अनंतमूल ), त्रिफला ( तीन फल ), हरिद्रा (Curcuma Longa ), दारुहरिद्रा ( berberis aristata ), खदिर (बबूल कत्था ), विडंग ( Embilia Ribes ), और बावची ( Psoralia corylifolia )।
सफ़ेद दाग के लिए होम्योपैथिक उपचार -
किसी भी बीमारी के इलाज के लिए होम्योपैथिक दृष्टिकोण शरीर की अपनी चिकित्सा प्रक्रियाओं को बढ़ाने कि शक्ति पर आधारित होती है। उपचार का यह तरीका ऐसी औषधियों के प्रयोग से पूरा होता है जिसमें औषधियां विपरीत प्रतिरोधक क्षमता को सही कर रोग को ठीक करने कि क्षमता रखती हैं |
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