सफ़ेद दाग (Safed Daag) क्या होते है ?
सफ़ेद दाग नामक रोग त्वचा से सम्बंधित रोग है | यह रोग, त्वचा के रंग के लिए जिम्मेदार मेलेनिन नामक वर्णक की अलग - अलग मात्राओं में उपस्थिति की वजह से होता है | किसी - किसी में ये वर्णक पूर्णतः अनुपस्थित होते हैं तो किसी में इसकी मात्रा कम होती है | इस वर्णक की मात्राओं में भिन्नता के कई कारण हो सकते हैं | सफ़ेद दाग नामक रोग से विश्व की लगभग २% जनसंख्या प्रभावित है, जबकि भारतियों एवं मेक्सिकन देशों में इस रोग से लगभग ८% लोग प्रभावित हैं | इस रोग से मनुष्य को शारीरिक रूप से कोई परेशानी नहीं होती इसलिए इस रोग का चिकित्सकीय महत्व कम तथा सामाजिक महत्व ज्यादा है |
इस रोग से ऐसे लोग ज्यादा परेशानियों का सामना करते है जिनके समाज में लोगों के बाहरी रंग रूप को ज्यादा महत्व दिया जाता है, क्योंकि इस रोग से ग्रसित लोग बहुत ज्यादा गोरे या फिर उनके शरीर की त्वचा का रंग एक जैसा नहीं होता, खासतौर पर गहरे और हल्के रंग के त्वचा वाले समाज में | जिसकी वजह से समाज में उसे अन्य लोगो से अलग समझ जाता है |
सफ़ेद दाग नामक रोग के निम्न में से एक या एक से अधिक कारण हो सकते हैं :
01 मेलेनिन को बनाने वाली कोशिकाओं का ठीक से मेलेनिन स्रावित नहीं कर पाने की वजह से त्वचा के रंग में भिन्नताएं आने लगाती है, जिससे त्वचा पर सफेद - सफेद चकत्ते पड़ने लगते हैं |
02मेलेनिन वर्णक बनाने वाली कोशिकाओं का पूर्ण रूप से इस वर्णक को न बना पाने की वजह से, त्वचा का कोई वास्तविक रंग ही नहीं बन पाता |
उपरोक्त अनियमितताओं के होने का कोई ठोस कारण अभी तक ज्ञात नहीं है | कुछ लोगों द्वारा दिए गए सिद्धांतों को उपरोक्त अनियमितताओं का कारण माना जाता है | इन्हीं सिद्धांतों के आधार पर सफ़ेद दागके कारणों को इस साईट पर समझने का प्रयास किया गया है | संक्षिप्त में, आनुवांशिक एवं प्रतिरक्षा कारकों को सफ़ेद दागनामक रोग का कारण माना जाता है |
मेलेनिन वर्णक बनाने वाली कोशिकाओं के विनाश के कारण ( जिसका कारण कोशिका का स्वतः प्रतिरक्षा विकार हो सकता है ) सामान्य त्वचा के विभिन्न भागों से मेलेनिन वर्णक अनुपस्थित होने लगते हैं | जिसमे इन वर्णकों के लुप्त होने कि दर अलग- अलग हो सकती है | हमारे नैदानिक ५००० से अधिक मामलों के उपचार पर आधारित अनुभव (दिसम्बर 2011 को ), इस ओर इंगित करते हैं कि इस प्रकार के रोग का कारण आनुवांशिक होता है | मुख्यरूप से वे जिनके शरीर में व्यापक रूप से सफ़ेद दाग फैल गया हो या फिर ऐसे लोग जिनमे यह रोग उनके अँगुलियों के शीर्ष पर, पैर के अंगूठे पर, होंठो पर तथा जननांगों पर | इस रोग से ग्रसित कई परिवारों का आनुवांशिक अध्ययन करने पर आनुवंशिकी को अर्थात जीन को इस रोग का एक प्रमुख कारक माना गया है | इस तरह कि और भी बहुत सी बीमारियां है, जिनका कारण आनुवांशिक ही होता है, जैसे - एलोप्सिया एरेटा, मधुमेह, , सक्रीय थयरॉइड एलर्जी आदि |
सफ़ेद दाग रोग से ग्रसित लोग पूरे विश्व में फैले हुए है | इस रोग से गहरे रंग कि त्वचा वाले ही नहीं बल्कि गोरे लोग भी इस रोग से ग्रसित हैं | त्वचा विज्ञानं के आधार पर सबसे ज्यादा इस रोग से ग्रसित लोगों कि संख्या भारत तथा मेक्सिको में (८.८%) दर्ज कि गई है | अमेरिकन त्वचा विज्ञान अकादमी के आधार पर अमेरिका में इस रोग से १-२% लोग पीड़ित हैं, जो कि भारत तथा मैक्सिको से बहुत कम है| यह रोग किसी भी लिंग अर्थात स्त्री या पुरुष या फिर बच्चों को हो सकता है | इस रोग का प्रभाव तीन महीने के बच्चे से लेकर ८० वर्ष के उम्र दराज़ के लोगों में देखा गया है |
लाइफ फ़ोर्स ( जीवन शक्ति ) में हमने बहुत से देशो के लोगों ( लगभग १७७ देश ) कि आनुवांशिक रूप से अलग त्वचा का अध्ययन कर सफ़ेद दागपर निष्कर्ष निकाला है , जो कि हमें सामान्य क्लीनिक द्वारा दिए गए निष्कर्षों से ज्यादा प्रभावी एवं सही निष्कर्ष देता है |
संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि सफ़ेद दागकोई गंभीर रोग नहीं है | हालाँकि यह जरूरी है कि इसके लिए हम सचेत रहें क्योंकि इसका उपचार किया जा सकता है|
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