शल्य क्रिया बिना, अनुसंधान पर आधारित होमियोपेथी का फिशर पर नियंत्रण
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- फिशर को जानिऍँ
- प्रेस सूचना
- होमियोपेथी के बारेें मे जानिऍँ
फिशर को जानिऐें
- फिशर क्या है?
- रोग के लक्षण
- रोग के कारण
- रोग निदान
- औपचारिक उपचार
- होमियोपेथी उपचार
फिशर क्या है?
इस बीमारी का लक्षण यह है कि उसमे गुदे की चमड़ी की लम्बाई मे दरार पडती है । मुख्यतः गुर्देे की पिछली त्वचा मेें जहॉँ पर रक्त संचार कम होता है, वहॉँ पर एक लंबी दरार
पड़ जाती है । जिसमेें असहनीय दर्द एवं रक्त स्त्राव होता है । यही फिशर बहलाता है ।
रोग के लक्षण
- दस्त के दौरान दर्द
- गुदे के मुॅँह का अकड़ जाना
- दस्त मेें रक्त का गिरना
- स्थायी दरार की वजह से सूजन एवं खाज
रोग के कारण
इस बीमारी का सबसे सामान्य कारण कब्ज है । स्थायी कब्ज की वजह से गुदे की चमड़ी मेें बार बार घिसाई होती है जिस वजह से वहॉँ दरार पड़ जाती है । गुदे के मुॅँह के अकड़ जाने की वजह से इस हिस्से का रक्त प्रवाह कम हो सकता है जिसवे कारण दरार का भरना मुश्किल हो सकता है ।
सामान्य कारण
- दस्त केबाद या स्थूल दस्त के बाद
- अनेक प्रसूति
- लंबे समय से ली गई रेचक दवाईयॉँ
- कभी कभी दरार किसी अंदरुनी बीमारी का लक्षण भी हो सकता है,
- जैसे - कोन्हस डिसिज, अल्सरेटिव कोलाइटिस या केन्सर
- अनुुचित तरीके से किया गया बवासीर का ऑपरेशन
रोग के निदान
गुदे की जॉँच से दरार का निदान किया जा सकता है । जैसे कि गुदे की स्पदन देखना, गुदे के पार्श्व एवं पीछे की दरार का परीक्षण किया जाता है ।
औपचारिक उपचार
- कब्ज दूर करने के लिए दवाई
- दर्द कम करने की दवाई
- गुदे की चमड़ी पर लगाने के लिए ऍन्टीबायोटिक क्रीम, दरार भरने वे लिए दवाई
- कभी कभी दरार किसी अंदरुनी बीमारी का लक्षण भी हो सकता है, (Glycerin Trinitrate Olntment)
- जो दरारे लंबे समय से न भर रही हो उस पर शल्य क्रिया की जाती है
होमियोपेथिक उपचार
होमियोपेथिक दवाइयो से इलाज की गई दरारो मे शल्य क्रिया की आवश्यकता बहुत कम पायी जाती है । इन दवाईयोें से हम दरार भरने की कोशिश करते है । इन दवाइयोें से कब्ज भी दूर किया जा सकता है । इन दवाइयो से गुदे की अकड़ दू की जाती है और दरार से होनेवाले सभी लक्षणो मेें आराम मिलता है ।
एक उचित होमियोपेथिक दवाई चुनने के लिए रोगी के सभी लक्षणो ध्यान दिया जाता है, जैसे कि दरार और उनके व्याक्तित्व के लक्षणो जैसे रोगी की जीवन शैली खाने-पीने की आदतेें, संवेदनशीलता, इन सभी मुद्दोें को ध्यान मे लिया जाता है । इस तरह से चुनी गई दवाई को प्राकृतिक दवाई कहते है । यह दवाई दरार के भरने मेें असरकारक होती है । इस तरह से चुनी दवाई से दरार के दोबारा बनने की संभावना काफी कम हो जाती है ।